Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_202f849283cd27b1bbd3b97e1d44354c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हवस ने मुझ से पूछा था तुम्हारा क्या इरादा है - औरंगज़ेब कविता - Darsaal

हवस ने मुझ से पूछा था तुम्हारा क्या इरादा है

हवस ने मुझ से पूछा था तुम्हारा क्या इरादा है

बदन कार-ए-मोहब्बत में बराए इस्तिफ़ादा है

कभी पहना नहीं उस ने मिरे अश्कों का पैराहन

उदासी मेरी आँखों में अज़ल से बे-लिबादा है

भड़क कर शोला-ए-वहशत लहू में बुझ गया होगा

ज़रा सी आग थी लेकिन धुआँ कितना ज़ियादा है

अगर तुम ग़ौर से देखो रुख़-ए-महताब कम पड़ जाए

फ़लक पर इक सितारे की जबीं इतनी कुशादा है

मुझे मस्कन समझते हैं अजब आसेब हैं ग़म के

मैं इक दो से निमट भी लूँ ये पूरा ख़ानवादा है

उसे धंदे से मतलब है वो दीमक बेचने वाला

उसे वो ख़ाक समझेगा ये ख़्वाबों का बुरादा है

हम उस से चाह कर भी बच नहीं सकते किसी सूरत

निभाना पड़ता है इस को मोहब्बत एक वा'दा है

मुझे शतरंज के ख़ानों में चलना तू सिखाएगा

मैं फ़र्ज़ी बन चुका कब का तू अब तक इक पियादा है

न-जाने कातिब-ए-तक़दीर ने क्या लिख दिया उस पर

मिरी तक़दीर का सफ़हा न सीधा है न सादा है

मैं इस हालत में 'ज़ेब' आख़िर कहाँ चलते हुए जाऊँ

न मुझ में हौसला बाक़ी न मंज़िल है न जादा है

(1637) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hawas Ne Mujhse Puchha Tha Tumhaara Kya Irada Hai In Hindi By Famous Poet Aurangzeb. Hawas Ne Mujhse Puchha Tha Tumhaara Kya Irada Hai is written by Aurangzeb. Complete Poem Hawas Ne Mujhse Puchha Tha Tumhaara Kya Irada Hai in Hindi by Aurangzeb. Download free Hawas Ne Mujhse Puchha Tha Tumhaara Kya Irada Hai Poem for Youth in PDF. Hawas Ne Mujhse Puchha Tha Tumhaara Kya Irada Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Hawas Ne Mujhse Puchha Tha Tumhaara Kya Irada Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.