Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_49b58f8237298d593062c2ca2a77959b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गह मश्क़-ए-सितम गाह-ए-करम याद करेंगे - औलाद अली रिज़वी कविता - Darsaal

गह मश्क़-ए-सितम गाह-ए-करम याद करेंगे

गह मश्क़-ए-सितम गाह-ए-करम याद करेंगे

जब तक भी जिएँगे तुम्हें हम याद करेंगे

जब ज़िक्र छिड़ेगा कहीं अरबाब-ए-वफ़ा का

अपने दिल-ए-मरहूम को हम याद करेंगे

दिल अपना है दिल पर तो नहीं ज़ोर किसी का

का'बे में भी हम तुझ को सनम याद करेंगे

जो सज्दा-गह-ए-इश्क़ की रिफ़अत से हैं वाक़िफ़

वो लोग मिरा नक़्श-ए-क़दम याद करेंगे

तौक़ीर बढ़ाई है मिरे सज्दों ने उन की

इक उम्र मुझे दैर-ओ-हरम याद करेंगे

जब बात छिड़ेगी कहीं अरबाब-ए-नज़र की

'साक़ी' को बहुत अहल-ए-क़लम याद करेंगे

(901) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gah Mashq-e-sitam Gah-e-karam Yaad Karenge In Hindi By Famous Poet Aulad Ali Rizvi. Gah Mashq-e-sitam Gah-e-karam Yaad Karenge is written by Aulad Ali Rizvi. Complete Poem Gah Mashq-e-sitam Gah-e-karam Yaad Karenge in Hindi by Aulad Ali Rizvi. Download free Gah Mashq-e-sitam Gah-e-karam Yaad Karenge Poem for Youth in PDF. Gah Mashq-e-sitam Gah-e-karam Yaad Karenge is a Poem on Inspiration for young students. Share Gah Mashq-e-sitam Gah-e-karam Yaad Karenge with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.