Sad Poetry of Atiiqullah
नाम | अतीक़ुल्लाह |
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अंग्रेज़ी नाम | Atiiqullah |
जन्म की तारीख | 1941 |
जन्म स्थान | Delhi |
अपने सूखे हुए गुल-दान का ग़म है मुझ को
वो
कितना मुश्किल है
वो तवानाई कहाँ जो कल तलक आज़ा में थी
वो मेरे नाले का शोर ही था शब-ए-सियह की निहायतों में
तू भी तो एक लफ़्ज़ है इक दिन मिरे बयाँ में आ
मुझ से बे-ज़ारो न यूँ संग से मारो मुझ को
मिरे सुपुर्द कहाँ वो ख़ज़ाना करता था
मैं जो ठहरा ठहरता चला जाऊँगा
क्या तुम ने कभी ज़िंदगी करते हुए देखा
जब भी तन्हाई के एहसास से घबराता हूँ
इस दश्त नवर्दी में जीना बहुत आसाँ था
गरचे मैं सर से पैर तलक नोक-ए-संग था
दिल के नज़दीक तो साया भी नहीं है कोई
दे कर पिछली यादों का अम्बार मुझे
चराग़ हाथों के बुझ रहे हैं सितारा हर रह-गुज़र में रख दे
बहुत दिन से तुम्हें देखा नहीं था
अंधेरा मेरे बातिन में पड़ा था
आसमाँ का सितारा न महताब है
आने वाला तो हर इक लम्हा गुज़र जाता है