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हमारे मा-बैन - अतीक़ुल्लाह कविता - Darsaal

हमारे मा-बैन

एक ख़्वाब से जब तुम दूसरे ख़्वाब में क़दम रखो

तो ये ख़याल रहे

एक ज़मीन तुम्हारे अंदर भी अपने लिए ज़मीन बना चुकी है

जिस पर हज़ारों

नन्ही नन्ही दुआओं की बालियाँ फूटेंगी

तुम उन दुआओं की ज़बान समझना

उन लफ़्ज़ों को सुनना

जिन्हें तुम ने

सफ़र के गुज़िश्ता मरहले में इधर उधर घुमा दिया था

ये दुनिया

महज़ एक फ़ासले का नाम है

और

तुम्हारे पाँव बहुत छोटे हैं

ज़रा मुड़ कर देखो

तुम अपने ख़ुदा को कहाँ छोड़ आई हो

तुम्हारी नमाज़ों का नूर कहाँ रह गया है

देखो

हमारे मा-बैन

एक दलदल है

और इस दलदल में

एक चाँद फँसा हुआ है

जो तुम्हारे क़दम नाप रहा है

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Hamare Ma-bain In Hindi By Famous Poet Atiiqullah. Hamare Ma-bain is written by Atiiqullah. Complete Poem Hamare Ma-bain in Hindi by Atiiqullah. Download free Hamare Ma-bain Poem for Youth in PDF. Hamare Ma-bain is a Poem on Inspiration for young students. Share Hamare Ma-bain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.