Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_51865ec3dd5f880da7fdbe5ccf8733f1, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मैं तुझे भूलना चाहूँ भी तो ना-मुम्किन है - अतहर नासिक कविता - Darsaal

मैं तुझे भूलना चाहूँ भी तो ना-मुम्किन है

मैं तुझे भूलना चाहूँ भी तो ना-मुम्किन है

तू मिरी पहली मोहब्बत है मिरा मोहसिन है

मैं उसे सुब्ह न जानूँ जो तिरे संग नहीं

मैं उसे शाम न मानूँ कि जो तेरे बिन है

कैसा मंज़र है तिरे हिज्र के पस-ए-मंज़र का

रेग-ए-सहरा है रवाँ और हवा साकिन है

तेरी आँखों से तिरे हाथों से लगता तो नहीं

मेरे अहबाब ये कहते हैं कि तो कमसिन है

अभी कुछ देर में हो जाएगा आँगन जल-थल

अभी आग़ाज़ है बारिश का अभी किन-मिन है

ऐन मुमकिन है कि कल वक़्त फ़क़त मेरा हो

आज मुट्ठी में ये आया हुआ पहला दिन है

आज का दिन तो बहुत ख़ैर से गुज़रा 'नासिक'

कल की क्यूँ फ़िक्र करूँ कल का ख़ुदा ज़ामिन है

(2242) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Main Tujhe Bhulna Chahun Bhi To Na-mumkin Hai In Hindi By Famous Poet Athar Nasik. Main Tujhe Bhulna Chahun Bhi To Na-mumkin Hai is written by Athar Nasik. Complete Poem Main Tujhe Bhulna Chahun Bhi To Na-mumkin Hai in Hindi by Athar Nasik. Download free Main Tujhe Bhulna Chahun Bhi To Na-mumkin Hai Poem for Youth in PDF. Main Tujhe Bhulna Chahun Bhi To Na-mumkin Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Main Tujhe Bhulna Chahun Bhi To Na-mumkin Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.