गूँगों को ज़बान किस ने दी है
गूँगों को ज़बान किस ने दी है
आख़िर ये अज़ान किस ने दी है
रक्खा है रवा ये ज़ुल्म किस ने
ज़ालिम को अमान किस ने दी है
फूलों को असीर किस ने रक्खा
ख़ुशियों को उड़ान किस ने दी है
मंशूर-ए-हवा लिखा है किस ने
मिट्टी को उठान किस ने दी है
इस दश्त में जीत किस की ठहरी
इस जंग में जान किस ने दी है
मक़रूज़ हुई हैं मेरी आँखें
ख़्वाबों को तकान किस ने दी है
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