Heart Broken Poetry of Athar Nasik
नाम | अतहर नासिक |
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अंग्रेज़ी नाम | Athar Nasik |
यक़ीन बरसों का इम्कान कुछ दिनों का हूँ
यही जो तेरे मिरे दिल की राजधानी थी
यही बहुत है कि अहबाब पूछ लेते हैं
सफ़र भी जब्र है नाचार करना पड़ता है
पल-दो-पल है फिर ये सोना मिट्टी का
पहुँचा दिया उमीद को तूफ़ान-ए-यास तक
मैं तुझे भूलना चाहूँ भी तो ना-मुम्किन है
ख़ुद को किसी की राह-गुज़र किस लिए करें
ख़ुद को किसी की राहगुज़र किस लिए करें
गूँगों को ज़बान किस ने दी है
चुप-चाप हब्स-ए-वक़्त के पिंजरे में मर गया
अगर यक़ीन न रखते गुमान तो रखते