Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d0cf364347b147dacc925afe3bb58e7f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न मंज़िल हूँ न मंज़िल-आश्ना हूँ - अतहर नफ़ीस कविता - Darsaal

न मंज़िल हूँ न मंज़िल-आश्ना हूँ

न मंज़िल हूँ न मंज़िल-आश्ना हूँ

मिसाल-ए-बर्ग उड़ता फिर रहा हूँ

मिरी आँखों के ख़ुश्क-ओ-तर में झाँको

कभी सहरा कभी दरिया-नुमा हूँ

वो ऐसा कौन है जिस से बिछड़ कर

ख़ुद अपने शहर मैं तन्हा हुआ हूँ

चमन मेरा नहीं फिर भी चमन में

मैं तन्हा रंग-ओ-निकहत आश्ना हूँ

न जाने किस लिए है नाज़ मुझ को

न तुझ सा हूँ न तुझ से कुछ सिवा हूँ

मिरे अन्फ़ास की तौक़ीर करना

बड़ी मुश्किल से मैं ज़िंदा हुआ हूँ

जो मेरी रूह में उतरा हुआ है

मैं उस से बे-तअल्लुक़ भी रहा हूँ

मैं उस को ढूँढता फिरता हूँ हर सू

जो मुझ से कह सके मैं बेवफ़ा हूँ

बताता क्यूँ नहीं कोई कि अब मैं

कहाँ हूँ किस तरफ़ को जा रहा हूँ

हवा-ए-कू-ए-जानाँ मुल्तफ़ित है

सो अपने रंज कहने आ गया हूँ

सुला दो ऐ हवाओ अब सुला दो

बहुत रातों का मैं जागा हुआ हूँ

(1213) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Na Manzil Hun Na Manzil-ashna Hun In Hindi By Famous Poet Athar Nafees. Na Manzil Hun Na Manzil-ashna Hun is written by Athar Nafees. Complete Poem Na Manzil Hun Na Manzil-ashna Hun in Hindi by Athar Nafees. Download free Na Manzil Hun Na Manzil-ashna Hun Poem for Youth in PDF. Na Manzil Hun Na Manzil-ashna Hun is a Poem on Inspiration for young students. Share Na Manzil Hun Na Manzil-ashna Hun with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.