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वो ग़ज़ल की किताब है प्यारे - अतीक़ अंज़र कविता - Darsaal

वो ग़ज़ल की किताब है प्यारे

वो ग़ज़ल की किताब है प्यारे

उस को पढ़ना सवाब है प्यारे

वो कभी नर्म चाँदनी सी लगे

और कभी आफ़्ताब है प्यारे

उम्र कच्ची है इश्क़ क्या जाने

ख़ामुशी भी जवाब है प्यारे

अपने हाथों पिलाए ख़ुश्बू तू

सादा पानी शराब है प्यारे

उस को पढ़ना तो चूम कर पढ़ना

वो ख़ुदा की किताब है प्यारे

उस को देखो लिबास मत देखो

वो पहाड़ी गुलाब है प्यारे

हँस के जीने का तुम हुनर सीखो

ज़िंदगी ला-जवाब है प्यारे

वो जो आता है शब ढले 'अनज़र'

तेरा सच्चा वो ख़्वाब है प्यारे

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