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फूल पर ओस है आरिज़ पे नमी हो जैसे - अतीक़ अंज़र कविता - Darsaal

फूल पर ओस है आरिज़ पे नमी हो जैसे

फूल पर ओस है आरिज़ पे नमी हो जैसे

उस के चेहरे पे मिरी आँख धरी हो जैसे

उस की पलकों पे रखूँ होंट तो यूँ जलते हैं

उस के सीने में कहीं आग लगी हो जैसे

झील के होंट पे सूरज की किरन लहराई

मेरे महबूब के होंटों पे हँसी हो जैसे

अब भी रह रह के मिरे दिल में सिसकता है कोई

उस में मूरत कोई बचपन की छुपी हो जैसे

ख़त में इस तरह वो तादीब मुझे करती है

उम्र में मुझ से कई साल बड़ी हो जैसे

मेरे बचपन की पुजारन ने मुझे यूँ देखा

अपने भगवान के चरनों में दुखी हो जैसे

तुझ से मिल कर भी उदासी नहीं जाती दिल की

तू नहीं और कोई मेरी कमी हो जैसे

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Phul Par Os Hai Aariz Pe Nami Ho Jaise In Hindi By Famous Poet Ateeq Anzar. Phul Par Os Hai Aariz Pe Nami Ho Jaise is written by Ateeq Anzar. Complete Poem Phul Par Os Hai Aariz Pe Nami Ho Jaise in Hindi by Ateeq Anzar. Download free Phul Par Os Hai Aariz Pe Nami Ho Jaise Poem for Youth in PDF. Phul Par Os Hai Aariz Pe Nami Ho Jaise is a Poem on Inspiration for young students. Share Phul Par Os Hai Aariz Pe Nami Ho Jaise with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.