कहानियाँ ख़मोश हैं पहेलियाँ उदास हैं
कहानियाँ ख़मोश हैं पहेलियाँ उदास हैं
हँसी-ख़ुशी के दिन गए हवेलियाँ उदास हैं
कभी कभी तो बाग़ में चला आ घूमता हुआ
कि टूटने की चाह में चमेलियाँ उदास हैं
फलों के बोझ से लचक गई हैं डालियाँ मगर
अभी तलक गुलाब सी हथेलियाँ उदास हैं
ये चाँदनी बहार ये कली ये झील ये फ़ज़ा
तिरे बग़ैर तेरी सब सहेलियाँ उदास हैं
झुलस गया है पेड़ ये हिना का जब से धूप में
हमारे गाँव की नई-नवेलियाँ उदास हैं
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