खिले हैं फूल उसी रंग की सताइश में

खिले हैं फूल उसी रंग की सताइश में

जो बे-मिसाल रहा आप अपनी ताबिश में

वो एक दिन ही मिरी ज़िंदगी का हासिल है

कि मेरे पास कोई रुक गया था बारिश में

बस एक झील है और पेड़ का घना साया

सुलग रहे हैं कई लोग जिन की ख़्वाहिश में

कभी हुआ जो कहीं पर ग़ज़ल-सरा मैं भी

तो मेरे यार जले हैं हसद की आतिश में

मैं जिस को सोचता रहता हूँ रात-दिन 'अहमद'

उसी ने रंग भरे हैं मिरी निगारिश में

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Khile Hain Phul Usi Rang Ki Sataish Mein In Hindi By Famous Poet Ateeq Ahmad. Khile Hain Phul Usi Rang Ki Sataish Mein is written by Ateeq Ahmad. Complete Poem Khile Hain Phul Usi Rang Ki Sataish Mein in Hindi by Ateeq Ahmad. Download free Khile Hain Phul Usi Rang Ki Sataish Mein Poem for Youth in PDF. Khile Hain Phul Usi Rang Ki Sataish Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share Khile Hain Phul Usi Rang Ki Sataish Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.