खिले हैं फूल उसी रंग की सताइश में
खिले हैं फूल उसी रंग की सताइश में
जो बे-मिसाल रहा आप अपनी ताबिश में
वो एक दिन ही मिरी ज़िंदगी का हासिल है
कि मेरे पास कोई रुक गया था बारिश में
बस एक झील है और पेड़ का घना साया
सुलग रहे हैं कई लोग जिन की ख़्वाहिश में
कभी हुआ जो कहीं पर ग़ज़ल-सरा मैं भी
तो मेरे यार जले हैं हसद की आतिश में
मैं जिस को सोचता रहता हूँ रात-दिन 'अहमद'
उसी ने रंग भरे हैं मिरी निगारिश में
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