गुमाँ के तन पे यक़ीं का लिबास रहने दो

गुमाँ के तन पे यक़ीं का लिबास रहने दो

कि मेरे हाथ में ख़ाली गिलास रहने दो

ज़माना गुज़रा है ख़ुशियों का साथ छोड़े हुए

मिरे मिज़ाज को अब ग़म-शनास रहने दो

अमल की रुत में पनपती हैं टहनियाँ हक़ की

मिलाओ सच से निगाहें क़यास रहने दो

वो ख़्वाब को भी हक़ीक़त समझ के जीते हैं

इसी में ख़ुश हैं तो ये इल्तिबास रहने दो

मिला के हाथ शयातीं से देखते हो मुझे

अनानियत को तुम अपने ही पास रहने दो

मुझे न खींचो ख़ुशी के हिसार में ऐ 'अतीब'

उदास रहना है मुझ को उदास रहने दो

(914) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Guman Ke Tan Pe Yaqin Ka Libas Rahne Do In Hindi By Famous Poet Ateeb Ejaz. Guman Ke Tan Pe Yaqin Ka Libas Rahne Do is written by Ateeb Ejaz. Complete Poem Guman Ke Tan Pe Yaqin Ka Libas Rahne Do in Hindi by Ateeb Ejaz. Download free Guman Ke Tan Pe Yaqin Ka Libas Rahne Do Poem for Youth in PDF. Guman Ke Tan Pe Yaqin Ka Libas Rahne Do is a Poem on Inspiration for young students. Share Guman Ke Tan Pe Yaqin Ka Libas Rahne Do with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.