Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_282bacbfcba7fc9eb6cf825131c064a5, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आज भी जिस की ख़ुश्बू से है मतवाली मतवाली रात - अताउर्रहमान जमील कविता - Darsaal

आज भी जिस की ख़ुश्बू से है मतवाली मतवाली रात

आज भी जिस की ख़ुश्बू से है मतवाली मतवाली रात

वो तिरे जलते पहलू में थी जान निकालने वाली रात

सुब्ह से तन्हा तन्हा फिरना फिर आएगी सवाली रात

और तिरे पास धरा ही क्या है ऐ मिरी ख़ाली ख़ाली रात

दिल पर बर्फ़ की सिल रख देना नागन बन कर डस लेना

अपने लिए दोनों ही बराबर काली हो कि उजाली रात

पीले पत्ते सूखी शाख़ों पर भी तो अक्सर चमका चाँद

मुझ से मिलने कभी न आई तेरी नाज़ की पाली रात

देख लिए आँखों ने मेरी ताज़ा शबनम बासी फूल

गरचे सुब्ह को मेरी ख़ातिर तुम ने मुझ से छुपा ली रात

तुम इस को सोना कहते हो तुम क्या हम भी कहते हैं

अपनी थकी पलकों पर हम ने लम्हा भर जो सँभाली रात

आने वाली आ नहीं चुकती जाने वाली जा भी चुकी

वैसे तो हर जाने वाली रात थी आने वाली रात

(782) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aaj Bhi Jis Ki KHushbu Se Hai Matwali Matwali Raat In Hindi By Famous Poet Ataur Rahman Jameel. Aaj Bhi Jis Ki KHushbu Se Hai Matwali Matwali Raat is written by Ataur Rahman Jameel. Complete Poem Aaj Bhi Jis Ki KHushbu Se Hai Matwali Matwali Raat in Hindi by Ataur Rahman Jameel. Download free Aaj Bhi Jis Ki KHushbu Se Hai Matwali Matwali Raat Poem for Youth in PDF. Aaj Bhi Jis Ki KHushbu Se Hai Matwali Matwali Raat is a Poem on Inspiration for young students. Share Aaj Bhi Jis Ki KHushbu Se Hai Matwali Matwali Raat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.