वैसे तो इस घर को उस ने चाहे कम ख़ुश-हाली दी

वैसे तो इस घर को उस ने चाहे कम ख़ुश-हाली दी

बेटा बर-ख़ुरदार दिया और बेटी हौसले वाली दी

ग़ुस्से में दोनों ने इक दूजे के हाथ को झटका था

और अब सोच रहे हैं पहले किस ने किस को गाली दी

कुछ मैं ख़ुद भी हर इक शख़्स की बातों में आ जाता हूँ

कुछ वैसे भी उस ने मुझ को सूरत भोली-भाली दी

वर्ना काम था मेरा तो फूलों से रिज़्क़ कमाने तक

फिर उस ने इक बाग़ की मेरे हाथों में रखवाली दी

धूप बढ़ी तो वो भी अपने अपने पाँव खींच गए

मैं ने अपने हिस्से की जिन पेड़ों को हरियाली दी

दिल ने मेरी एक सदा पर दोनों हाथों दान किया

जब ज़म्बील मोहब्बत ने जज़्बात से मुझ को ख़ाली दी

तू भी मान गया ऐ दोस्त कि दरिया सिर्फ़ डुबोता है

मेरे बारे में दुनिया ने तुझ को ख़ाम-ख़याली दी

पहले मेरी आँखों से सरमाया छीना नींदों का

बदले में फिर हिज्र ने मेरी आँखों को ये लाली दी

वो ही देगा मुझ को फिर ता'मीर उठाने की हिम्मत

जिस ने 'हसन' इन बाम-ओ-दर को इतनी ख़स्ता-हाली दी

(719) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Waise To Is Ghar Ko Usne Chahe Kam KHush-haali Di In Hindi By Famous Poet Ataul Hasan. Waise To Is Ghar Ko Usne Chahe Kam KHush-haali Di is written by Ataul Hasan. Complete Poem Waise To Is Ghar Ko Usne Chahe Kam KHush-haali Di in Hindi by Ataul Hasan. Download free Waise To Is Ghar Ko Usne Chahe Kam KHush-haali Di Poem for Youth in PDF. Waise To Is Ghar Ko Usne Chahe Kam KHush-haali Di is a Poem on Inspiration for young students. Share Waise To Is Ghar Ko Usne Chahe Kam KHush-haali Di with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.