आओ फिर से दिया जलाएँ

भरी दो-पहरी में अँधियारा

सूरज परछाईं से हारा

अंतरत्म का नेह निचोड़ें बुझी हुई बाक़ी सुलगाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल

लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल

वर्तमान के मोह जाल में आने वाला कल न भुलाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ

आहूती बाक़ी यग्य अधूरा

अपनों के विघ्नों ने घेरा

अंतिम जय का वज्र बनाने नौ दधीची हड्डियाँ गलाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ

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Aao Phir Se Diya Jalaen In Hindi By Famous Poet Atal Bihari Vajpayee. Aao Phir Se Diya Jalaen is written by Atal Bihari Vajpayee. Complete Poem Aao Phir Se Diya Jalaen in Hindi by Atal Bihari Vajpayee. Download free Aao Phir Se Diya Jalaen Poem for Youth in PDF. Aao Phir Se Diya Jalaen is a Poem on Inspiration for young students. Share Aao Phir Se Diya Jalaen with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.