अताउल हक़ क़ासमी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अताउल हक़ क़ासमी
नाम | अताउल हक़ क़ासमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ata Ul Haq Qasmi |
जन्म की तारीख | 1943 |
जन्म स्थान | Lahore |
ये किस अज़ाब में उस ने फँसा दिया मुझ को
वो एक शख़्स कि मंज़िल भी रास्ता भी है
उसे अब भूल जाने का इरादा कर लिया है
लगता नहीं कि उस से मरासिम बहाल हों
जिस की ख़ातिर मैं भुला बैठा था अपने आप को
गुम हुआ जाता है कोई मंज़िलों की गर्द में
दिलों से ख़ौफ़ निकलता नहीं अज़ाबों का
आए हैं लोग रात की दहलीज़ फाँद कर
एक फ़लर्ट लड़की
वो सुकून-ए-जिस्म-ओ-जाँ गिर्दाब-ए-जाँ होने को है
वो गर्द है कि वक़्त से ओझल तो मैं भी हूँ
वो एक शख़्स कि मंज़िल भी रास्ता भी है
वह एक शख़्स कि मंज़िल भी रास्ता भी है
वो दश्त-ए-कर्ब-ओ-बला में उतरने देता नहीं
थोड़ी सी उस तरफ़ भी नज़र होनी चाहिए
थोड़ी सी इस तरफ़ भी नज़र होनी चाहिए
मंज़िलें भी ये शिकस्ता-बाल-ओ पर भी देखना
भटक रही है 'अता' ख़ल्क़-ए-बे-अमाँ फिर से
भटक रही है 'अता' ख़ल्क़-ए-बे-अमाँ फिर से