इश्क़ तो अपने लहू में ही सँवरता है सो हम
इश्क़ तो अपने लहू में ही सँवरता है सो हम
किस लिए रुख़ पे कोई ग़ाज़ा लगा कर देखें
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इश्क़ तो अपने लहू में ही सँवरता है सो हम
किस लिए रुख़ पे कोई ग़ाज़ा लगा कर देखें
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