Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_17e9ac1c4cd28e6464a9ff56bb546511, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
पारसाओं ने बड़े ज़र्फ़ का इज़हार किया - अता शाद कविता - Darsaal

पारसाओं ने बड़े ज़र्फ़ का इज़हार किया

पारसाओं ने बड़े ज़र्फ़ का इज़हार किया

हम से पी और हमें रुस्वा सर-ए-बाज़ार किया

दर्द की धूप में सहरा की तरह साथ रहे

शाम आई तो लिपट कर हमें दीवार किया

रात फूलों की नुमाइश में वो ख़ुश-जिस्म से लोग

आप तो ख़्वाब हुए और हमें बेदार किया

कुछ वो आँखों को लगे संग पे सब्ज़े की तरह

कुछ सराबों ने हमें तिश्ना-ए-दीदार किया

तुम तो रेशम थे चटानों की निगह-दारी में

किस हवा ने तुम्हें पा-बस्ता-ए-यलग़ार किया

हम बुरे क्या थे कि इक सिद्क़ को समझे थे सिपर

वो भी अच्छे थे कि बस यार कहा वार किया

संगसारी में तो वो हाथ भी उट्ठा था 'अता'

जिस ने मासूम कहा जिस ने गुनहगार किया

(2596) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Parsaon Ne BaDe Zarf Ka Izhaar Kiya In Hindi By Famous Poet Ata Shad. Parsaon Ne BaDe Zarf Ka Izhaar Kiya is written by Ata Shad. Complete Poem Parsaon Ne BaDe Zarf Ka Izhaar Kiya in Hindi by Ata Shad. Download free Parsaon Ne BaDe Zarf Ka Izhaar Kiya Poem for Youth in PDF. Parsaon Ne BaDe Zarf Ka Izhaar Kiya is a Poem on Inspiration for young students. Share Parsaon Ne BaDe Zarf Ka Izhaar Kiya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.