Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7dec8a08113132989b1e7e8b4d786e82, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए - अता शाद कविता - Darsaal

चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए

चोब-ए-सहरा भी वहाँ रश्क-ए-समर कहलाए

हम ख़िज़ाँ-बख़्त शजर हो के हजर कहलाए

हम तह-ए-ख़ाक किए जाँ का अरक़ उन के लिए

और पस-ए-राह-ए-वफ़ा गर्द-ए-सफ़र कहलाए

उन की पोरों में सितारे भी हैं अंगारे भी

वो सदफ़ जिस्म हुए आतिश-ए-तर कहलाए

अपनी राहों का गुलिस्तान लगे वीराना

उन की दहलीज़ की मिट्टी भी गुहर कहलाए

जिन की ख़ैरात से लम्हों की लवें जागती हैं

शब-निज़ादों में वही दस्त-ए-निगर कहलाए

उन के कतबे पे यही वक़्त ने लिक्खा है कि वो

रौशनी बाँटते थे तीरा नज़र कहलाए

वो तो दीवारों में चुनता है ज़माने का ज़मीर

हम ही क्या संग-ए-सर-ए-राहगुज़र कहलाए

'शाद' बे-सर्फ़ा गया उम्र का सरमाया-ए-हर्फ़

हम कि थे जान-ए-सदा गुंग-ए-हुनर कहलाए

(973) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chob-e-sahra Bhi Wahan Rashk-e-samar Kahlae In Hindi By Famous Poet Ata Shad. Chob-e-sahra Bhi Wahan Rashk-e-samar Kahlae is written by Ata Shad. Complete Poem Chob-e-sahra Bhi Wahan Rashk-e-samar Kahlae in Hindi by Ata Shad. Download free Chob-e-sahra Bhi Wahan Rashk-e-samar Kahlae Poem for Youth in PDF. Chob-e-sahra Bhi Wahan Rashk-e-samar Kahlae is a Poem on Inspiration for young students. Share Chob-e-sahra Bhi Wahan Rashk-e-samar Kahlae with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.