पियारे बच्चों की पियारी तमन्नाएँ
गो उड़ाते हैं अभी धूलें हम
चाहते हैं कि फ़लक छू लें हम
हो बुज़ुर्गों की दुआओं में असर
बाग़-ए-हस्ती में फलें-फूलें हम
इल्म का शौक़ हो दिल में इतना
सबक़ अपना न कभी भूलें हम
शाद-ओ-आबाद रहे ये बचपन
और झूलों पे यूँही झूलें हम
क़ुव्वत-ए-ख़ैर अता हो इतनी
ढीली शर की करें सब चूलें हम
अपनी तक़दीर के हम हैं मेमार
अपना मंसब न कभी भूलें हम
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