Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e9816811305d41291c6e10e2e4e851ce, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तीरगी शम्अ बनी राहगुज़र में आई - अता आबिदी कविता - Darsaal

तीरगी शम्अ बनी राहगुज़र में आई

तीरगी शम्अ बनी राहगुज़र में आई

साअत इक ऐसी भी कल अपने सफ़र में आई

जिस जगह चेहरा ही मेयार-ए-वफ़ा ठहरा है

ख़ाक ही ख़ाक वहाँ दस्त-ए-हुनर में आई

तेरी नज़रों में थी दुनिया तो यही क्या कम था

हश्र ये है कि तू दुनिया की नज़र में आई

बार-हा यारों ने साहिल से कहा था हम हैं

बार-हा नाव मगर अपनी भँवर में आई

ज़िंदगी समझूँ इसे या कि इसे मौत कहूँ

वो जो मेहमान की सूरत मिरे घर में आई

यूँ भी तारीख़ की तारीख़ रक़म होती है

निकली तारीख़ महल से तो खंडर में आई

ख़्वाब ही ख़्वाब की ताबीर हुआ तो जाना

ज़िंदगी क्यूँ किसी आँखों के असर में आई

शम्अ जलते ही बुझी और धुआँ ऐसा उठा

लज़्ज़त-ए-शाम यहाँ ख़्वाब-ए-सहर में आई

ज़िंदगी कुछ है 'अता' शेर-ओ-अदब है कुछ और

ये दो-रंगी की वबा कैसी हुनर में आई

(897) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tirgi Shama Bani Rahguzar Mein Aai In Hindi By Famous Poet Ata Abidi. Tirgi Shama Bani Rahguzar Mein Aai is written by Ata Abidi. Complete Poem Tirgi Shama Bani Rahguzar Mein Aai in Hindi by Ata Abidi. Download free Tirgi Shama Bani Rahguzar Mein Aai Poem for Youth in PDF. Tirgi Shama Bani Rahguzar Mein Aai is a Poem on Inspiration for young students. Share Tirgi Shama Bani Rahguzar Mein Aai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.