Ghazals of Asrarul Haq Asrar
नाम | असरारुल हक़ असरार |
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अंग्रेज़ी नाम | Asrarul Haq Asrar |
ठहरे तो कहाँ ठहरे आख़िर मिरी बीनाई
सुनता रहा है और सुनेगा जहाँ मुझे
सीना-ए-संग में ढूँढता है गुदाज़
कुछ तो मायूस दिल तेरे बस में भी है
कैसे रफ़ू हों चाक-ए-गरेबाँ मैं भी सोचूँ तू भी सोच
जानते थे ग़म तिरा दरिया भी था गहरा भी था
ऐसी नई कुछ बात न होगी