Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_113cc76416e5129eba3119c7a9c541fe, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
राब्ता टूट न जाए कहीं ख़ुद-बीनी से - असरार ज़ैदी कविता - Darsaal

राब्ता टूट न जाए कहीं ख़ुद-बीनी से

राब्ता टूट न जाए कहीं ख़ुद-बीनी से

दिल लरज़ उट्ठा है माहौल की संगीनी से

हौसला है तो सराबों में उतर कर देखो

ज़िंदा रहना तो इबारत है ख़ुश-आईनी से

अब सर-ए-आख़िर-ए-शब लाए हो सूरज की ख़बर

यूँ तमाशा न करो सुब्ह की रंगीनी से

न बुरूदत थी न हिद्दत थी अजब मौसम था

चोट खाया किए हम अपनी ही कज-बीनी से

आँख पथराई हुई और ज़बाँ गुंग कि जब

ज़र्फ़ मिट्टी के बने और बदन चीनी से

दर्द तल्ख़ाबा-ए-एहसास में ज़म हो के रहा

क़त्ल-गह पट गई अल्फ़ाज़ की शीरीनी से

सामने आ के जो वो हाथ मिलाए तो सही

मुझ को हौल आता है उस शख़्स की मिस्कीनी से

(1564) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Rabta TuT Na Jae Kahin KHud-bini Se In Hindi By Famous Poet Asrar Zaidi. Rabta TuT Na Jae Kahin KHud-bini Se is written by Asrar Zaidi. Complete Poem Rabta TuT Na Jae Kahin KHud-bini Se in Hindi by Asrar Zaidi. Download free Rabta TuT Na Jae Kahin KHud-bini Se Poem for Youth in PDF. Rabta TuT Na Jae Kahin KHud-bini Se is a Poem on Inspiration for young students. Share Rabta TuT Na Jae Kahin KHud-bini Se with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.