Ghazals of Asrar Zaidi
नाम | असरार ज़ैदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Asrar Zaidi |
वो चाँद था बादलों में गुम था
देखे-भाले रस्ते थे
राब्ता टूट न जाए कहीं ख़ुद-बीनी से
रौशनी के सिलसिले ख़्वाबों में ढल कर रह गए
यूँ पाबंद-ए-सलासिल हो कर कौन फिरे बाज़ारों में
वो शख़्स जो नज़र आता था हर किसी की तरह
मसरूफ़ हम भी अंजुमन-आराइयों में थे
बरहनगी का मुदावा कोई लिबास न था
अनजाने लोगों को हर सू चलता फिरता देख रहा हूँ
आने वाली कल की दे कर ख़बर गया ये दिन भी