Sad Poetry of Asrar-ul-Haq Majaz (page 2)
नाम | असरार-उल-हक़ मजाज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Asrar-ul-Haq Majaz |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1955 |
जन्म स्थान | Lucknow |
ए'तिराफ़
एक ग़मगीन याद
दिल्ली से वापसी
बर्बत-ए-शिकस्ता
अँधेरी रात का मुसाफ़िर
आवारा
आज की रात
आज भी
आहंग-ए-नौ
यूँही बैठे रहो बस दर्द-ए-दिल से बे-ख़बर हो कर
ये मेरी दुनिया ये मेरी हस्ती
ये जहाँ बारगह-ए-रित्ल-ए-गिराँ है साक़ी
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए
शौक़ के हाथों ऐ दिल-ए-मुज़्तर क्या होना है क्या होगा
साक़ी-ए-गुलफ़ाम बा-सद एहतिमाम आ ही गया
रह-ए-शौक़ से अब हटा चाहता हूँ
परतव-ए-साग़र-ए-सहबा क्या था
नहीं ये फ़िक्र कोई रहबर-ए-कामिल नहीं मिलता
न हम-आहंग-ए-मसीहा न हरीफ़-ए-जिब्रील
मिरी वफ़ा का तिरा लुत्फ़ भी जवाब नहीं
कुछ तुझ को ख़बर है हम क्या क्या ऐ शोरिश-ए-दौराँ भूल गए
ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई
ख़ामुशी का तो नाम होता है
जुनून-ए-शौक़ अब भी कम नहीं है
जिगर और दिल को बचाना भी है
हुस्न को बे-हिजाब होना था
दर्द की दौलत-ए-बेदार अता हो साक़ी
दामन-ए-दिल पे नहीं बारिश-ए-इल्हाम अभी
बस इस तक़्सीर पर अपने मुक़द्दर में है मर जाना
अक़्ल की सतह से कुछ और उभर जाना था