Heart Broken Poetry of Asrar-ul-Haq Majaz (page 3)
नाम | असरार-उल-हक़ मजाज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Asrar-ul-Haq Majaz |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1955 |
जन्म स्थान | Lucknow |
सारा आलम गोश-बर-आवाज़ है
साक़ी-ए-गुलफ़ाम बा-सद एहतिमाम आ ही गया
रुख़्सत ऐ हम-सफ़रो शहर-ए-निगार आ ही गया
परतव-ए-साग़र-ए-सहबा क्या था
निगाह-ए-लुत्फ़ मत उठ ख़ूगर-ए-आलाम रहने दे
न हम-आहंग-ए-मसीहा न हरीफ़-ए-जिब्रील
कुछ तुझ को ख़बर है हम क्या क्या ऐ शोरिश-ए-दौराँ भूल गए
ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई
ख़ामुशी का तो नाम होता है
करिश्मा-साजी-ए-दिल देखता हूँ
कमाल-ए-इश्क़ है दीवाना हो गया हूँ मैं
इज़्न-ए-ख़िराम लेते हुए आसमाँ से हम
हुस्न फिर फ़ित्नागर है क्या कहिए
हुस्न को बे-हिजाब होना था
दर्द की दौलत-ए-बेदार अता हो साक़ी
दामन-ए-दिल पे नहीं बारिश-ए-इल्हाम अभी
बर्बाद-ए-तमन्ना पे इताब और ज़ियादा
ऐश से बे-नियाज़ हैं हम लोग
आसमाँ तक जो नाला पहुँचा है
आशिक़ी जाँ-फ़ज़ा भी होती है
आओ अब मिल के गुलिस्ताँ को गुल्सिताँ कर दें