लीडर की दुआ
इबलीस मिरे दिल में वो ज़िंदा तमन्ना दे
जो ग़ैरों को अपना ले और अपनों को टरख़ा दे
भाषण के लिए दम दे और तोंद को फुलवा दे
पाया है जो औरों ने वो मुझ को भी दिलवा दे
पैदा दिल-ए-वोटर में वो शोरिश-ए-महशर कर
जो जोश-ए-इलेक्शन में डंका मिरा बजवा दे
मैं अपने इलाक़ा के लोगों को भी घपला दूँ
वो शौक़-ए-सियासत दे वो झूट का जज़्बा दे
मैं नूर-ए-सदाक़त से परहेज़ करूँ हर दम
सीने में सियाही का बहता हुआ दरिया दे
एहसास इनायत कर कुर्सी की मोहब्बत का
इमरोज़ की शोरिश में बे-फ़िक्री-ए-फ़र्दा दे
बे दाल के बूदम पर रख दस्त-ए-करम आक़ा
ज़िंदानी-ए-ज़ुल्मत की तक़दीर को चमका दे
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