Love Poetry of Asra Rizvi
नाम | असरा रिज़वी |
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अंग्रेज़ी नाम | Asra Rizvi |
वस्ल की जो ख़्वाहिश है
सुना है चाँदनी-रातों में अक्सर तुम
परदेसी का ख़त
ख़िज़ाँ का मौसम
आओ चलें उस खंडर में
ज़िंदगी उलझी है बिखरे हुए गेसू की तरह
ये आग मोहब्बत की बुझाए न बुझे है
वो शख़्स फिर कहानी का उन्वान बन गया
रात फिर ख़्वाब में आने का इरादा कर के
मैं तिरे शहर में फिरती रही मारी मारी
मैं सच तो कह दूँ पर उस को कहीं बुरा न लगे
कर्गस को सुरख़ाब बनाना चाहोगे
दर्द की जोत मिरे दिल में जगाने वाले
बे-सबब ख़ौफ़ से दिल मेरा लरज़ता क्यूँ है
ऐसा ये दर्द है कि भुलाया न जाएगा
आग जो दिल में लगी है वो बुझा दी जाए