मिरे शौक़-ए-सैर-ओ-सफ़र को अब नए इक जहाँ की नुमूद कर
मिरे शौक़-ए-सैर-ओ-सफ़र को अब नए इक जहाँ की नुमूद कर
तिरे बहर ओ बर को तो रख दिया है कभी का मैं ने खँगाल के
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मिरे शौक़-ए-सैर-ओ-सफ़र को अब नए इक जहाँ की नुमूद कर
तिरे बहर ओ बर को तो रख दिया है कभी का मैं ने खँगाल के
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