Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_267b6f087d86513a8de3c56bba2f8754, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
नज़र को वक़्फ़-ए-हैरत कर दिया है - असलम कोलसरी कविता - Darsaal

नज़र को वक़्फ़-ए-हैरत कर दिया है

नज़र को वक़्फ़-ए-हैरत कर दिया है

उसे भी दिल से रुख़्सत कर दिया है

बराए-नाम था आराम जिस को

ग़ज़ल कह कर मुसीबत कर दिया है

समझते हैं कहाँ पत्थर किसी की

मगर इतमाम-ए-हुज्जत कर दिया है

गली-कूचों में जलती रौशनी ने

हसीं शामों को शामत कर दिया है

बसीरत एक दौलत ही थी आख़िर

सो दौलत को बसीरत कर दिया है

कई हमदम निकल आए हैं जब से

ज़बाँ को सिर्फ़ ग़ीबत कर दिया है

सुख़न के बाब में भी हम ने 'असलम'

जो करना था ब-उजलत कर दिया है

(892) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nazar Ko Waqf-e-hairat Kar Diya Hai In Hindi By Famous Poet Aslam Kolsarii. Nazar Ko Waqf-e-hairat Kar Diya Hai is written by Aslam Kolsarii. Complete Poem Nazar Ko Waqf-e-hairat Kar Diya Hai in Hindi by Aslam Kolsarii. Download free Nazar Ko Waqf-e-hairat Kar Diya Hai Poem for Youth in PDF. Nazar Ko Waqf-e-hairat Kar Diya Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Nazar Ko Waqf-e-hairat Kar Diya Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.