आरज़ू-ए-दवाम करता हूँ

आरज़ू-ए-दवाम करता हूँ

ज़िंदगी वक़्फ़-ए-आम करता हूँ

आप से इख़्तिलाफ़ है लेकिन

आप का एहतिराम करता हूँ

मुझ को तक़रीब से तअल्लुक़ क्या

मैं फ़क़त एहतिमाम करता हूँ

दर्स-ओ-तदरीस इश्क़ मज़दूरी

जो भी मिल जाए काम करता हूँ

जुस्तुजू ही मिरा असासा है

जा इसे तेरे नाम करता हूँ

हाँ मगर बर्ग-ए-ज़र्द की सूरत

सुब्ह को मैं भी शाम करता हूँ

वक़्त गुज़रे पे आए हो 'असलम'

ख़ैर कुछ इंतिज़ाम करता हूँ

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