Love Poetry of Aslam Habeeb
नाम | असलम हबीब |
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अंग्रेज़ी नाम | Aslam Habeeb |
ज़ीस्त की धूप से यूँ बच के निकलता क्यूँ है
लुटी बहार का सूखा गुलाब रहने दो
कोई गुलाब यहाँ पर खिला के देखते हैं
किसी की याद का साया था या कि झोंका था
आँख को अश्क बना के देख