असलम हबीब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असलम हबीब
नाम | असलम हबीब |
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अंग्रेज़ी नाम | Aslam Habeeb |
ज़ीस्त की धूप से यूँ बच के निकलता क्यूँ है
ज़ख़्मों का ब्योपारी है
सुबुक सा दर्द था उठता रहा जो ज़ख़्मों से
लुटी बहार का सूखा गुलाब रहने दो
कोई गुलाब यहाँ पर खिला के देखते हैं
किसी की याद का साया था या कि झोंका था
कट गईं सारी पतंगें डोर से
दोस्ती को आम करना चाहता है
आँख को अश्क बना के देख