तुम मिरे कमरे के अंदर झाँकने आए हो क्यूँ
सो रहा हूँ चैन से हूँ ठीक है सब ठीक है
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
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Allama Iqbal
Rahat Indori
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Gulzar
Javed Akhtar
Wasi Shah
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तुम्हारे दर्द से जागे तो उन की क़द्र खुली
उन्हें ये फ़िक्र कि दिल को कहाँ छुपा रक्खें
नर्म आवाज़ों के बीच
ख़ौफ़
इंतिज़ार
तमाम खेल-तमाशों के दरमियान वही
कोशिश है गर उस की कि परेशान करेगा
हज़ार रास्ते बदले हज़ार स्वाँग रचे
हवाएँ शहर की आलूदा-ए-कसाफ़त हैं
कोई इशारा कोई इस्तिआ'रा क्यूँकर हो
मौत का इंतिज़ार सफ़ेद चाक से
शाम का रक़्स