नमी उतर गई धरती में तह-ब-तह 'असलम'
बहार-ए-अश्क नई रुत की इब्तिदा में है
Gulzar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(737) Peoples Rate This
हज़ार रास्ते बदले हज़ार स्वाँग रचे
नर्म आवाज़ों के बीच
कोशिश है गर उस की कि परेशान करेगा
हम भी 'असलम' इसी गुमान में हैं
ख़ौफ़
खोखले बर्तन के होंट
तमाम खेल-तमाशों के दरमियान वही
कोई इशारा कोई इस्तिआ'रा क्यूँकर हो
इंतिज़ार
हवाएँ शहर की आलूदा-ए-कसाफ़त हैं
तुम्हारे दर्द से जागे तो उन की क़द्र खुली