हवाएँ शहर की आलूदा-ए-कसाफ़त हैं
ये साफ़-सुथरा-पन और ये नफ़ासतें झूटी
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Habib Jalib
Rahat Indori
Gulzar
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(738) Peoples Rate This
हज़ार रास्ते बदले हज़ार स्वाँग रचे
उन्हें ये फ़िक्र कि दिल को कहाँ छुपा रक्खें
खोखले बर्तन के होंट
तमाम खेल-तमाशों के दरमियान वही
इंतिज़ार
कोशिश है गर उस की कि परेशान करेगा
कोई इशारा कोई इस्तिआ'रा क्यूँकर हो
नर्म आवाज़ों के बीच
अब रात आ रही है
दिल की धड़कन अब रग-ए-जाँ के बहुत नज़दीक है
तुम्हारे दर्द से जागे तो उन की क़द्र खुली
शाम का रक़्स