वहाँ हर एक इसी नश्शा-ए-अना में है

वहाँ हर एक इसी नश्शा-ए-अना में है

कि ख़ाक-ए-रहगुज़र-ए-यार भी हवा में है

अलिफ़ से नाम तिरा तेरे नाम से मैं अलिफ़

इलाही मेरा हर इक दर्द इस दुआ में है

वही कसीली सी लज़्ज़त वही सियाह मज़ा

जो सिर्फ़ होश में था हर्फ़-ए-ना-रवा में है

वो कोई था जो अभी उठ के दरमियाँ से गया

हिसाब कीजे तो हर एक अपनी जा में है

नमी उतर गई धरती में तह-ब-तह 'असलम'

बहार-ए-अश्क नई रुत की इब्तिदा में है

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Wahan Har Ek Isi Nashsha-e-ana Mein Hai In Hindi By Famous Poet Aslam Emadi. Wahan Har Ek Isi Nashsha-e-ana Mein Hai is written by Aslam Emadi. Complete Poem Wahan Har Ek Isi Nashsha-e-ana Mein Hai in Hindi by Aslam Emadi. Download free Wahan Har Ek Isi Nashsha-e-ana Mein Hai Poem for Youth in PDF. Wahan Har Ek Isi Nashsha-e-ana Mein Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Wahan Har Ek Isi Nashsha-e-ana Mein Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.