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कोशिश है गर उस की कि परेशान करेगा - असलम इमादी कविता - Darsaal

कोशिश है गर उस की कि परेशान करेगा

कोशिश है गर उस की कि परेशान करेगा

वो दुश्मन-ए-जाँ दर्द को आसान करेगा

हम उस को जवाबों से पशेमान करेंगे

वो हम को सवालों से पशेमान करेगा

पहलू-तही करते हुए दुज़्दीदा जो देखे

चेहरे के तअस्सुर से वो हैरान करेगा

तू छुप के ही आए कि बर-अफ़गन्दा-नक़ाब आए

दिल की यही आदत है कि नुक़सान करेगा

क़ज़्ज़ाक़ों की बस्ती में रहा करते हैं हम सब

हर घर को कोई दूसरा वीरान करेगा

हर टीस से उभरेगी तिरी याद की ख़ुशबू

हर ज़ख़्म मिरे शौक़ पे एहसान करेगा

'असलम' ये सुना है कि मिरा शहर-ए-वफ़ा भी

तख़रीब को शर्मिंदा-ए-ईक़ान करेगा

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