दीवारों को दिल से बाहर रखने वाले

दीवारों को दिल से बाहर रखने वाले

हम बंजारे काँधे पर घर रखने वाले

कूच का जब भी गजर बजे उठ कर चल देंगे

बँधा हुआ हम अपना बिस्तर रखने वाले

कैसी परवाज़ें कैसी आज़ाद फ़ज़ाएँ

कुंज-ए-क़फ़स में ख़ुश हैं शहपर रखने वाले

आँच से जुगनू की चट्टानें सुलग रही हैं

शोले उगलें मोम का पैकर रखने वाले

बे-चेहरा लम्हे भी आईना रखते हैं

पस-मंज़र हैं अपना मंज़र रखने वाले

ना-वाक़िफ़ हैं हर्फ़ों की तौक़ीर से 'असलम'

शे'रों में लफ़्ज़ों का दफ़्तर रखने वाले

(754) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Diwaron Ko Dil Se Bahar Rakhne Wale In Hindi By Famous Poet Aslam Badar. Diwaron Ko Dil Se Bahar Rakhne Wale is written by Aslam Badar. Complete Poem Diwaron Ko Dil Se Bahar Rakhne Wale in Hindi by Aslam Badar. Download free Diwaron Ko Dil Se Bahar Rakhne Wale Poem for Youth in PDF. Diwaron Ko Dil Se Bahar Rakhne Wale is a Poem on Inspiration for young students. Share Diwaron Ko Dil Se Bahar Rakhne Wale with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.