Sad Poetry of Aslam Azad
नाम | असलम आज़ाद |
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अंग्रेज़ी नाम | Aslam Azad |
रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूँ नहीं
न दश्त ओ दर से अलग था न जंगलों से जुदा
किसी तरह न तिलिस्म-ए-सुकूत टूट सका
हमारे बीच वो चुप-चाप बैठा रहता है
ज़हर
आहट
यादों का लम्स ज़ेहन को छू कर गुज़र गया
वो क्या है कौन है ये तो ज़रा बता मुझ को
उड़ते लम्हों के भँवर में कोई फँसता ही नहीं
रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूँ नहीं
कोई दीवार सलामत है न अब छत मेरी
किश्त-ए-दिल वीराँ सही तुख़्म-ए-हवस बोया नहीं
जगमगाती ख़्वाहिशों का नूर फैला रात भर
हर सू है तारीकी छाई तुम भी चुप और हम भी चुप
हमारी याद उन्हें आ गई तो क्या होगा
बस एक बार उसे रौशनी में देखा था
अजीब शख़्स है मुझ को तो वो दिवाना लगे
आँखों से मैं ने चख लिया मौसम के ज़हर को