हमारे बीच वो चुप-चाप बैठा रहता है
मैं सोचता हूँ मगर कुछ मुझे पता न लगे
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Jaun Eliya
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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उड़ते लम्हों के भँवर में कोई फँसता ही नहीं
वो क्या है कौन है ये तो ज़रा बता मुझ को
किश्त-ए-दिल वीराँ सही तुख़्म-ए-हवस बोया नहीं
यादों का लम्स ज़ेहन को छू कर गुज़र गया
हमारी याद उन्हें आ गई तो क्या होगा
धूप के बादल बरस कर जा चुके थे और मैं
वक़्त का कुछ रुका सा धारा है
जगमगाती ख़्वाहिशों का नूर फैला रात भर
कतबा
अपना मकान भी था उसी मोड़ पर मगर
सज़ा
कोई दीवार सलामत है न अब छत मेरी