कतबा
मुझ को ये एहसास है
मैं मर गया हूँ
टूट कर मैं रेज़ा रेज़ा
हर तरफ़ बिखरा हुआ हूँ
फिर भी इक आवाज़
साए की तरह
एहसास से चिमटी हुई है
तुम अभी ज़िंदा हो और ज़िंदा रहोगे
फिर भी मैं ये चाहता हूँ
मुझ को मेरी क़ब्र की सूरत बना दो
और
मेरे नाम का
कतबा लगा दो
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