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वो क्या है कौन है ये तो ज़रा बता मुझ को - असलम आज़ाद कविता - Darsaal

वो क्या है कौन है ये तो ज़रा बता मुझ को

वो क्या है कौन है ये तो ज़रा बता मुझ को

कि जिस ने संग में तब्दील कर दिया मुझ को

मैं खो न जाऊँ कहीं दश्त-ए-ना-मुरादी में

तू अपनी आँखों की आग़ोश में छुपा मुझ को

किसी तरह न तिलिस्म-ए-सुकूत टूट सका

वो दे रहा था बहुत दूर से सदा मुझ को

मैं दूसरों की मलामत का बोझ सह लूँगा

मगर तू अपनी नज़र से न यूँ गिरा मुझ को

मैं तेरे सामने फिर सर-बुलंद हो न सकूँ

गुनह की रेत में इस तरह मत दबा मुझ को

बदन की आग को ओढ़ा है चादरों की तरह

मिली है ख़ूब मिरे जुर्म की सज़ा मुझ को

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