Heart Broken Poetry of Aslam Azad

Heart Broken Poetry of Aslam Azad
नामअसलम आज़ाद
अंग्रेज़ी नामAslam Azad

सिलसिला रोने का सदियों से चला आता है

न दश्त ओ दर से अलग था न जंगलों से जुदा

किसी तरह न तिलिस्म-ए-सुकूत टूट सका

दोस्तों के साथ दिन में बैठ कर हँसता रहा

धूप के बादल बरस कर जा चुके थे और मैं

ज़हर

कतबा

आहट

वो क्या है कौन है ये तो ज़रा बता मुझ को

वक़्त का कुछ रुका सा धारा है

उड़ते लम्हों के भँवर में कोई फँसता ही नहीं

रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूँ नहीं

कोई दीवार सलामत है न अब छत मेरी

किश्त-ए-दिल वीराँ सही तुख़्म-ए-हवस बोया नहीं

कहीं पे क़ुर्ब की लज़्ज़त का इक़्तिबास नहीं

कहीं पे क़ुर्ब की लज़्ज़त का इक़्तिबास नहीं

जगमगाती ख़्वाहिशों का नूर फैला रात भर

हर सू है तारीकी छाई तुम भी चुप और हम भी चुप

हमारी याद उन्हें आ गई तो क्या होगा

बस एक बार उसे रौशनी में देखा था

अजीब शख़्स है मुझ को तो वो दिवाना लगे

आँखों से मैं ने चख लिया मौसम के ज़हर को

असलम आज़ाद Heart Broken Poetry in Hindi - Read famous Heart Broken Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by असलम आज़ाद. Largest collection of Heart Broken Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by असलम आज़ाद. Share the असलम आज़ाद Heart Broken Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.