Khawab Poetry of Aslam Azad
नाम | असलम आज़ाद |
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अंग्रेज़ी नाम | Aslam Azad |
फेंका था किस ने संग-ए-हवस रात ख़्वाब में
अपना मकान भी था उसी मोड़ पर मगर
यादों का लम्स ज़ेहन को छू कर गुज़र गया
किश्त-ए-दिल वीराँ सही तुख़्म-ए-हवस बोया नहीं
कहीं पे क़ुर्ब की लज़्ज़त का इक़्तिबास नहीं
कहीं पे क़ुर्ब की लज़्ज़त का इक़्तिबास नहीं
जगमगाती ख़्वाहिशों का नूर फैला रात भर
अजीब शख़्स है मुझ को तो वो दिवाना लगे
आँखों से मैं ने चख लिया मौसम के ज़हर को