Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7288f3ae2ff812eb2372c75468096ad0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
एक समुंदर एक किनारा एक सितारा काफ़ी है - असलम अंसारी कविता - Darsaal

एक समुंदर एक किनारा एक सितारा काफ़ी है

एक समुंदर एक किनारा एक सितारा काफ़ी है

इस मंज़र में उस के अलावा कोई अकेला काफ़ी है

देने वाला झोलियाँ भर भर देता है तो उस का करम

लेने वाले कब कहते हैं दाता इतना काफ़ी है

एक ग़लत-अंदाज़ नज़र से गुलशन गुलशन दाग़ जलें

शबनम शबनम रुलवाने को एक ही जुमला काफ़ी है

ख़ुश्क लबों पर प्यास सजाए बहर-ए-आशाम नहीं हैं हम

हम जैसों को तिश्ना-लबी में एक ही दरिया काफ़ी है

अब तो और भी दुनियाएँ हैं मुंतज़िर-ए-अरबाब-ए-हवस

उन लोगों का क़ौल नहीं है हम को ये दुनिया काफ़ी है

शहर-ए-वफ़ा से दश्त-ए-जुनूँ तक चाहे जितने मराहिल हूँ

वहशत के तो दूसरे रुख़ पर एक दरीचा काफ़ी है

हुस्न-ए-सुख़न बाक़ी रखने को कुछ इबहाम ज़रूरी है

कहते कहते रुक जाने में है जो इशारा काफ़ी है

उस के अफ़्सूँ उस के फ़साने दोनों को मसहूर रखें

अक़्ल-ओ-जुनूँ की दहलीज़ों पर ख़्वाब का पहरा काफ़ी है

एक सभा दिल वालों की इक तान रसीले लोगों की

शहर के रौशन रखने को इतना सा उजाला काफ़ी है

(927) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek Samundar Ek Kinara Ek Sitara Kafi Hai In Hindi By Famous Poet Aslam Ansari. Ek Samundar Ek Kinara Ek Sitara Kafi Hai is written by Aslam Ansari. Complete Poem Ek Samundar Ek Kinara Ek Sitara Kafi Hai in Hindi by Aslam Ansari. Download free Ek Samundar Ek Kinara Ek Sitara Kafi Hai Poem for Youth in PDF. Ek Samundar Ek Kinara Ek Sitara Kafi Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Samundar Ek Kinara Ek Sitara Kafi Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.