असलम अंसारी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का असलम अंसारी
नाम | असलम अंसारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Aslam Ansari |
जन्म की तारीख | 1939 |
ज़रा सी बात पे क्या क्या फ़साना-साज़ी है
उड़ा है रफ़्ता रफ़्ता रंग तस्वीर-ए-मोहब्बत का
रग-ए-हर-साज़ ये कहती है कि ऐ नग़्मा-तराज़
किसे कहें कि रिफ़ाक़त का दाग़ है दिल पर
ख़फ़ा न हो कि तिरा हुस्न ही कुछ ऐसा था
जू-ए-नग़्मात पे तस्वीर सी लर्ज़ां देखी
जिसे दरपेश जुदाई हो उसे क्या मालूम
जाने वाले को कहाँ रोक सका है कोई
हम ने हर ख़्वाब को ताबीर अता की 'असलम'
हम को पहचान कि ऐ बज़म-ए-चमन-ज़ार-ए-वजूद
हमारे हाथ फ़क़त रेत के सदफ़ आए
दीवार-ए-ख़स्तगी हूँ मुझे हाथ मत लगा
मय-शिकस्ता-दिली ऐ हरीफ़-ए-ज़ौक़-ए-नुमू
कभी ऐसा तमव्वुज तुम ने देखा है
फ़क़त हर्फ़-ए-तमन्ना क्या है
एक नज़्म
ऐ ज़मिस्ताँ की हवा तेज़ न चल
वो रंग उड़े हैं कुछ अब के बरस बहारों के
वो नख़्ल जो बार-वर हुए हैं
मुझे तो ये भी फ़रेब-ए-हवास लगता है
मैं ने रोका भी नहीं और वो ठहरा भी नहीं
लरज़ लरज़ के दिल-ए-ना-तवाँ ठहर ही न जाए
कुछ तो ग़म-ख़ाना-ए-हस्ती में उजाला होता
ख़फ़ा न हो कि तिरा हुस्न ही कुछ ऐसा था
जब हमें इज़्न तमाशा होगा
हर शख़्स इस हुजूम में तन्हा दिखाई दे
गुबार-ए-एहसास-ए-पेश-ओ-पस की अगर ये बारीक तह हटाएँ
एक समुंदर एक किनारा एक सितारा काफ़ी है
इक बर्ग बर्ग दिन की ख़बर चाहिए मुझे
दर्स-ए-आदाब-ए-जुनूँ याद दिलाने वाले