Ghazals of Asima Tahir
नाम | आसिमा ताहिर |
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अंग्रेज़ी नाम | Asima Tahir |
ज़ख़्म खा के भी मुस्कुराते हैं
ये सोचा ही नहीं था तिश्नगी में
तेरी यादें बहाल रखती है
सुनहरी धूप से चेहरा निखार लेती हूँ
सदियों को बेहाल किया था
पौ फटते ही ट्रेन की सीटी जब कानों में गूँजती है
किस के मातम में रो रही है रात
ख़ुद मैं धूनी रमाए बैठी हूँ
अपनी हालत पे आँसू बहाने लगे
अपनी आँखें जो बंद कर देखूँ