Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d32a51622ff9d11021964ec26f4fa766, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मुक़ावमत - आसिफ़ रज़ा कविता - Darsaal

मुक़ावमत

मल्बूस पहने रात अपना ज़र-निगार

ज़ेर-ए-जामा ताज़ में लटका हुआ

उस का सियाह

शोले उगलते नालियों के दाएरे, फ़ौलाद के

जन्नत से धुत्कारी हुई औलाद के

रातों को चलते कारवाँ

मिस्मार शहरों का धुआँ

अहमरीं सय्याल से छिलके हुए

बाग़ों के हौज़

''नफ़्फ़त'' के शोले ज़मीं पर फेंकते हैं

''रास-चक्कर'' के बुरूज

घास के झुलसे हुए मैदान में

इक कमर तक बरहना

लँगोट बाँधे पहलवाँ

खेलता है दाव-पेच

एक ना-पैदा अदू से

नहीं करता जो उस का सामना

(699) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Muqawamat In Hindi By Famous Poet Asif Raza. Muqawamat is written by Asif Raza. Complete Poem Muqawamat in Hindi by Asif Raza. Download free Muqawamat Poem for Youth in PDF. Muqawamat is a Poem on Inspiration for young students. Share Muqawamat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.